भारत ऋतु प्रधान देश है। यहाँ छः ऋतुएं होती हैं–वसंत (Spring), ग्रीष्म (Summer), वर्षा (Rainy), शरद् (Autumn), हेमंत (pre-winter) और शिशिर (Winter)। जिसमें सर्दी बहुत समय तक पड़ती है। फिर भी सर्दी भारत में शीत ऋतु के रूप में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह अक्टूबर से फरवरी तक अपना प्रभाव दिखाता है, उस समय भारत के खेतों में हरियाली देखने को मिलती है। सर्दी के अंतिम चरण में धान की फसलें पक जाती हैं। उस समय पछुआ हवा का झोंका शुष्कता का वातावरण पैदा करने लगता है। किसान अपनी झूमती फसल देखकर मस्त हो उठता है।
सर्दी स्वास्थ्य की दृष्टि से बड़ा उपयोगी होता है। उस समय महामारियों के प्रकोप का भय नहीं रहता है। भारत जैसे ग्रीष्म प्रधान देश का निवासी सर्दी में स्वास्थ्य लाभ करने में अक्षम रहा, तो उसे सालों भर पछताना ही पड़ेगा। सर्दी की धूप आनंद प्रदान करने वाली होती है। उस काल की धूप में ताप का अभाव रहता है। इसका कारण यह है कि भारत उत्तरी गोलार्द्ध में है। उस समय सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में रहता है। अतः हमारे देश में सूर्य की किरणें लंबवत् न पड़कर तिरछी पड़ती हैं।
सर्दी की ठंड से बचने के लिए गर्म-वस्त्र की आवश्यकता महसूस होती है। गरीब वर्ग के लोगों को सर्दी में विशेष कष्ट का अनुभव होता है। गर्म वस्त्रों का सर्वथा अभाव होने से उन्हें शीत से प्रकंपित होना पड़ता है। अमीर एवं गरीब वर्ग की पहचान सर्दी में ही होती है। वस्त्रहीन भिखारी शीत के आधिक्य से प्राण गँवा देते हैं। सचमुच उनका कष्ट हृदय विदारक होता है। सर्दी में अग्नि का सेवन करना आनंददायक लगता है। सर्दी में अग्नि अमृत तुल्य मसहसू होती है, जब सर्दी बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो पानी बर्फ की तरह ठंडा हो जाता है। कहीं कहीं तो पानी बर्फ के रूप में भी परिणत हो जाता है।
सर्दी की सुबह देखने लायक होती है। कभी-कभी तो सर्दी की सुबह कुहासे की चादर से ढकी दिखाई पड़ती हैं, सघन कुहासे में आसपास की चीजें दिखाई नहीं पड़ती है। जब सूर्य की किरणें तीक्ष्ण होती हैं, तो कुहासा दूर भागने लगता है, सघन कुहासे में सूर्य की सुनहली रश्मियों की दृष्टि देखने लायक होती है। सर्दी में घास की फुनगियों पर मोती के दानों की तरह झिलमिलाते ओस के कणों में बड़ा आकर्षण होता है, जब उन ओस कणों पर सूर्य की सोने सी रश्मियाँ पड़ती हैं, तो एक अलौकिक सौंदर्य की सृष्टि होती है। सर्दी में कार्य की क्षमता बढ़ जाती है। गर्म देश के निवासियों के लिए सर्दी वरदान है। सर्दी के दिन अत्यंत छोटे दिन एवं रातें लंबी होती हैं। रात्रि में ठंडक बढ़ जाती है। अतः लोग रात्रि में देर तक बाहर रहने में कष्ट का अनुभव करते हैं। उस समय लोग जल्द से जल्द कंबल या रजाई में घुसकर शरीर गर्म करने की चेष्टा करते हैं।