Explanation : विष्णु दिगंबर पलुस्कर का जन्म (Date of birth) 18 अगस्त, 1872 में हुआ था। ग्वालियर घराने के संत और महान संगीतकार पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर (Vishnu Digambar Paluskar) के पिता का नाम दिगंबर गोपाल पलुस्कर तथा माता का नाम गंगाबाई या गंगादेवी था। इनके पिता एक अच्छे कीर्तनकार थे। उन्होंने ही विष्णु दिगंबर को स्कूली शिक्षा दिलाना शुरू किया। लेकिन दुर्भाग्यवश दीपावली की आतिशबाजी से इनकी आँखे खराब हो गईं और डॉक्टर की सलाह से स्कूली शिक्षा बंद करनी पड़ी। तत्पश्चात् इन्होंने गुरु बालकृष्ण बुआ इंचलकरजी से संगीत शिक्षा प्रारंभ की। 1901 में इन्होंने पंजाब में गन्धर्व विद्यालय खोला। तत्पश्चात् बंबई में भी इन्होंने संगीत विद्यालय खोला। इन्होंने नासिक में राम नाम आधार आश्रम खोला।
विष्णु दिगंबर पलुस्कर ने छोटी-बडी सब मिलाकर 50 पस्तकें लिखीं तथा लाहौर व मुंबई आदि स्थानों पर संगीत विद्यालय खुलवाए और संगीत शिक्षा को जनसामान्य तक पहुँचाया। इनका सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है संगीत के प्रचलित स्वरूप के अनुसार उसकी शास्त्रीय जानकारी एकत्रित करना। इन्होंने संगीत के कलापक्ष और शास्त्रीय पक्ष में तालमेल स्थापित किया। राग-रागिनी पद्धति के स्थान पर ठाठ राग पद्धति का प्रचार किया। सभी रागों का दस ठाठों में वर्गीकरण किया तथा रागों के प्रचलित स्वरूप के अनुसार उनका परिचय प्रस्तुत किया। इस प्रकार जीवनभर संगीत-कार्य करते हुए वर्ष 1931 में इनका निधन हो गया।....अगला सवाल पढ़े
Explanation : सितार का आविष्कार अमीर खुसरो ने किया था। सितार के आविष्कार के संबंध में विद्वानों की अनेक धारणाऐं विद्यमान हैं। कुछ विद्वानों के मतानुसार सितार ईरानी अथवा पर्शियन वाद्य है जो मुसलमानों के आगमन के साथ भारत में आया। कुछ विद्वानों क ...Read More
Explanation : सितार में सात तार होते हैं। पहले तार को बाज का तार कहा जाता है। दूसरा तार जोड़े का होता है। अंतिम दो तारों को चिकारी कहते हैं। इस पर झाला वादन होता है। सितार के तार क्रमश: मंद्र म, मंद्र सा, मंद्र प (मंद्र सा) मद्र प (अतिमंद्र सा ...Read More
Explanation : तबले में 16 घर होते हैं। तबला पूर्णतया फारसी वाद्य है व फारस के तबल नामक वाद्य का ही भारतीय रूपांतर है। डॉ. लाल मणि मिश्र 'तबला' शब्द की व्युत्पत्ति फारस के तबल से मानते हैं जिसका अर्थ है वह वाद्य जिसका मुख ऊपर की ओर हो तथा जिसका ...Read More
Explanation : तबला बजाने वाले को तबला वादक (Tabla maestro) कहते हैं। तबला वादकों में बुगरा खां, लाल जी श्रीवास्तव, गिरीश चंद्र श्रीवास्तव, सन्तराम, निखिल घोष, शमसुद्दीन खा, मिया बक्श, मोदू खा, मुनीर खां, अहमद जान थिरकुवा, जाकिर हुसैन इत्यादि क ...Read More
Explanation : तबला अवनद्ध वाद्य यंत्र है। इस तरह के वाद्य यंत्र में ढोल, नगाडा, चंग ढफ आदि आते है। वाद्य यंत्रों को मुख्यतः चार श्रेणियों में बांटा गया हैं–तत् वाद्य यंत्र, सुषिर वाद्य यंत्र, अवनद्ध वाद्य यंत्र और घन वाद्य यंत्र। तबला भारतीय स ...Read More
Explanation : राग भैरवी प्रात:काल में गाया जाता है। यह भैरव की ही भाँति प्रातः कालिक ख्यातिलब्ध राग है पर इस राग को गाकर महफिल समाप्त करने की परंपरा प्रचार में है। संगीतशास्त्र में रागों का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। राग के लिए कम से कम 5 स ...Read More
Explanation : तानपुरा का आविष्कार तुम्बरू नामक गंधर्व ने किया था। इसी कारण इसका नाम तंबूरा पड़ा। तंबूरा देवताओं के राजा इंद्र की सभा में एक बड़े गायक थे। तानपुरा की जाति के अन्य वाद्य दंड वीणा, एक तारा, दो तारा, महाराष्ट्र के तुण-तुण आदि मिलते ...Read More
Explanation : तानपुरा में चार तार होते हैं। जो लोहे और पीतल के बने होते हैं। पुरुषों के तानपुरे में चारों तार कुछ मोटे तथा स्त्रियों के तानपुरे में कुछ पतले होते हैं। प्रत्येक तार के नीचे मनका तथा सूत (डोरा) अटका रहता है। अच्छे तारों की ध्वनि ...Read More
Explanation : पंडित जसराज की मृत्यु 17 अगस्त 2020 को अमेरिका के न्यू जर्सी में हुई। वह भारत ही नहीं दुनिया के सर्वाधिक प्रतिष्ठित शास्त्रीय गायकों में से एक थे। उनका जन्म 28 जनवरी, 1930 को हरियाणा के फतेहाबाद जिले के पीली मंदोरी में हुआ था। वह ...Read More
Explanation : पंडित जसराज का जन्म 28 जनवरी, 1930 को हिसार में हुआ। यह भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायकों में से एक थे। इनके पिता पं. मोतीराम तत्कालीन कश्मीरी राज्य के दरबारी गायक थे। इन्होंने संगीत की शिक्षा अपने पिता पं. मोतीराम व अग्रज पं. मठ ...Read More
Web Title : Vishnu Digambar Paluskar Ka Janm Kab Hua Tha