वीटो पावर क्या है (VETO Power Kya Hai) : यूक्रेन पर आक्रमण के चलते कई देशों द्वारा रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में एक प्रस्ताव लाया गया, लेकिन रूस ने एक बार फिर से अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कर इसे रोक दिया। आइए यूएनएससी और वीटो पावर के बारे में विस्तार से जानें:
यूएनएससी को पूरी दुनिया में शांति, सद्भाव और सुरक्षा बनाए रखने का काम सौंपा गया है। सुरक्षा परिषद का निर्णय मानना बाध्यकारी होता है। इसका पालन हर देश को करना होता है।
यूएनएससी में 15 सदस्य होते हैं। जब भी विश्व की शांति को खतरा होता है, यूएनएससी रोकने के उपाय करती है। यूएनएससी में पांच स्थायी सदस्यों को वीटो पावर है। सीधे शब्दों में कहें तो अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रूस में किसी ने भी यूएनएससी के किसी प्रस्ताव पर विपक्ष में वोट डाला तो वो प्रस्ताव पास नहीं होगा।
पांच राष्ट्रों – संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक यानी यूएसएसआर (जिसका अधिकार 1990 में रूस को मिला) ने संयुक्त राष्ट्र की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसलिए इन्हें विशेषाधिकार मिले हुए हैं।
वीटो पावर संभवत: एक स्थायी सदस्य और एक अस्थायी सदस्य के बीच सबसे महत्वपूर्ण अंतर है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 27 (3) के अनुसार, सुरक्षा परिषद स्थायी सदस्यों के सहमति मतों के साथ सभी निर्णय लेगी। वीटो पावर का विषय विवादास्पद रहा है।
वीटो शक्ति का उपयोग यूएनएससी के स्थायी सदस्य इस्तेमाल करते रहे हैं। अमेरिका ने अपना पहला वीटो 1970 में डाला था और अब तक 82 बार वीटो पावर का इस्तेमाल कर चुका है।
यदि कोई स्थायी सदस्य यानी वीटो पावर रखने वाला देश किसी प्रस्ताव से पूरी तरह सहमत नहीं है, लेकिन वीटो भी नहीं डालना चाहता है, तो वह अलग रहने का विकल्प चुन सकता है।
रूस ने पहली बार 1957 में कश्मीर मुद्दे पर भारत के लिए वीटो पावर का इस्तेमाल किया था। 1961, 1962 और 1971 में भी रूस ने अलग-अलग मसलों पर भारत का साथ दिया।