Explanation : 2023 में वट सावित्री व्रत 19 मई दिन शुक्रवार को है। उत्तर भारत में वट सावित्री का व्रत सौभाग्यवती महिलाएं करती हैं। वट वे वृक्ष कहलाते हैं, जो अपनी टहनियों से स्वयं को वेष्टित (स्वयं को लपेटना) कर लेते हैं। सबसे अधिक वेष्टन करने वाला वृक्ष बरगद है, इसलिए इसे ही वटवृक्ष मानकर इसकी पूजा की जाती है। दक्षिण भारत में यह वट पूर्णिमा के नाम से ज्येष्ठ पर्णिमा को मनाया जाता है। त्रेता युग में श्रीराम एवं द्वापर युग में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने इन पेड़ों की पूजा की थी। त्रेता युग में वनवास पर निकले भगवान श्रीराम जब भरद्वाज ऋषि के आश्रम में पहुंचने के एक दिन पूर्व रात्रि-विश्राम के लिए रुकते हैं, तब लक्ष्मणजी वट वृक्ष के नीचे ही विश्राम करते हैं। दूसरे दिन प्रात: भरद्वाज ऋषि उन्हें अपने आश्रम ले जाते हैं और जब वहां से चित्रकूट की तैयारी करते हैं तो वे यमुना की पूजा के साथ बरगद के पेड़ की पूजा कर उससे आशीर्वाद लेने को कहते हैं। उस श्यामवट से सीता जी वन के प्रतिकूल आघातों से रक्षा करने की प्रार्थना करती हैं।
वट सावित्री व्रत में वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। वट वृक्ष को आयुर्वेद के अनुसार परिवार का वैद्य माना जाता है। प्राचीन ग्रंथ इसे महिलाओं के स्वास्थ्य से जोड़कर भी देखते हैं। संभवतः यही कारण है कि जब अपने परिवार के स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना हो, तो लोकसंस्कृति में वट वृक्ष की पूजा को प्रमुख विधान माना गया है। वट सावित्री व्रत का उल्लेख पौराणिक ग्रंथों- स्कंद पुराण व भविष्योत्तर पुराण में भी विस्तार से मिलता है। महाभारत के वन पर्व में इसका सबसे प्राचीन उल्लेख मिलता है।
वट सावित्री व्रत कब है
वट सावित्री व्रत 2023 : 19 मई, 2023 (शुक्रवार)
वट सावित्री व्रत 2024 : 6 जून, 2024 (गुरुवार)
वट सावित्री व्रत 2025 : 26 मई, 2025 (सोमवार)
वट सावित्री व्रत 2026 : 16 मई, 2026 (शनिवार)
वट सावित्री व्रत 2027 : 4 जून, 2027 (शुक्रवार)
वट सावित्री व्रत 2028 : 24 मई, 2028 (बुधवार)
वट सावित्री व्रत 2029 : 11 जून, 2029 (सोमवार)
वट सावित्री व्रत 2030 : 31 मई, 2030 (शुक्रवार)
वट सावित्री व्रत 2031 : 20 मई, 2031 (मंगलवार)
वट सावित्री व्रत 2032 : 7 जून, 2032 (सोमवार)
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