उत्तराखंड में जड़ी-बूटियों की प्राप्त होने वाली किस्में लगभग है?
June 18, 2022
, updated on June 19, 2022
(A) 100
(B) 500
(C) 1000
(D) 1800
Question Asked : Uttarakhand PCS Mains, 2002
Explanation : उत्तराखंड में जड़ी-बूटियों की प्राप्त होने वाली किस्में लगभग 500 है। उत्तराखंड जड़ी-बूटियों का क्षेत्र कहा जाता है। आयुर्वेद ग्रंथ 'चरक संहिता' एवं 'रामायण' आदि ग्रंथों में इस क्षेत्र में प्राप्त होने वाली जड़ी-बूटियों का विवरण प्राप्त होता है। उत्तराखंड में कई औषधीय (बैलाडोना, कुटकी, अफीम, मिंट, गंदा, पामारोजा, तुलसी पाइरेथम आदि), सुगन्धित (जिरेनियम, तेजपात, आर्टीमीशिया, स्याहजीरा आदि), पुष्पीय (गैंदा, डेमस्क गुलाब, आदि) तथा पेय (लेमन ग्रास, चाय) पौधों की खेती की जाती है। इनके अलावा वायोडिजल के लिए जेटरोफा की खेती की जाती है। राज्य में सर्वप्रथम बैलाडोना की खेती (1903 में कुमाऊ क्षेत्र में) शुरू की गई। आज राज्य में कुटकी, अफीम, पाइरेथम आदि कई औषधीय पौधों की खेती की जा रही है।
वही जिरेनियम एक अफ्रीकी मूल का शाकीय सुगन्ध युक्त पौधा है। इसका वानस्पतिक नाम पेलरगोनियम ग्रेवियोलेन्स है। इसे गुलाब की सुगन्ध युक्त जिरेनियम भी कहा जाता है। इसका मुख्य उत्पाद सुगन्धित तेल है, जो इसकी पत्तियों से निकाला जाता है। घरेलू एवं विदेशी बाजारों में जिरेनियम के तेल की अच्छी खपत हैं। भारतीय इत्र एवं सौन्दर्य प्रसाधन उद्योग की मांग की पूर्ति हेतु प्रत्येक वर्ष जिरेनियम का तेल विदेशों से आयात किया जाता है। यही कारण है कि राज्य में इसके खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
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OP Sharma
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