Explanation : टाइफाइड से शरीर का आंत अंग प्रभावित होता है। रोगी की आंतों में संक्रमण के पश्चात शरीर के प्रत्येक अंग में संक्रमण हो सकता है और मस्तिष्क ज्वर, ब्रोंकाइटिस, न्यूमोनिया, हृदय की मांसपेशियों में संक्रमण, हड्डियों में संक्रमण, पित्त की थैली का संक्रमण, गुर्दे में संक्रमण के साथ इसमें से किसी भी रोग की समस्या पैदा हो सकती है। टायफायड का संक्रमण सालमोनेला टायफी नामक जीवाणु से फैलता है। यह जीवाणु रोगी से अन्य स्वस्थ बच्चों या बड़ों के संपर्क में आने पर मुंह के रास्ते आहार नलिका में प्रवेश करता है। वे लोग जो खान−पान के व्यवसाय से संबंध रखते हैं, टायफायड को फैलाने में अहम भूमिका अदा करते हैं। खून की सहायता से टायफायड के जीवाणु शरीर के प्रत्येक अंग को संक्रमित कर देते हैं। विशेषकर छोटी आंत की आंतरिक संरचना को प्रभावित करके उसमें छोटे−छोटे जख्म पैदा कर देते हैं। ये खतरनाक बैक्टीरिया रोगी के मलमूत्र के रास्ते बाहर आ कर पूरे वातावरण में फैलते हैं और दूसरे स्वस्थ मनुष्यों को प्रभावित करते हैं।
टायफायड के लक्षण निम्न होते हैं जैसे−
− इसका बुखार लगभग 15−20 दिन तक रहता है।
− यह बुखार रोजाना धीरे−धीरे बढ़ता है।
− टायफायड के रोगी को भूख लगनी बंद हो जाती है।
− रोगी के पेट में दर्द होने लगता है।
− रोगी की नब्ज सुस्त पड़ने लगती है।
− जिगर बढ़ जाता है।
− रोगी का वजन लगातार घटने लगता है।
− रोगी को सिरदर्द होता है।
− रोगी की आंतों से रक्तस्राव हो सकता है।
− रोगी के शरीर में तिल्ली बढ़ जाती है।
− रोगी को उल्टी आने को होती है।
− वयस्क रोगी को कब्ज व बच्चों को दस्त हो सकते हैं।
− रोगी सुस्त और कमजोर हो जाता है।
− रोगी के बदन पर गुलाबी रंग के दाने हो जाते हैं।
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क्या टायफाईड ख़तम होने पर किडनी में सुधार आता है या नहीं?
क्योंकि टायफाईड के दौरान क्रीटनीन 0.86mg/dL से बढ़ कर 1.17mg/dL हो गया था।