Explanation : तृतीय पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल 01 अप्रैल, 1961 से 31 मार्च, 1966 था। इस योजना में अर्थव्यवस्था को आर्थिक गति शीलता की अवस्था (Take off stage) तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था। तीसरी योजना के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे–
(1) राष्ट्रीय आय में 5% से अधिक वार्षिक वृद्धि प्राप्त करना तथा पांच वर्षों में 30% वृद्धि करना। इसी प्रकार प्रति व्यक्ति आय में इसी अवधि में 17% वृद्धि करना।
(2) खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना तथा उद्योग एवं निर्यात की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कृषि उत्पादन को बढ़ाना।
(3) आधारभूत उद्योगों, जैसे–इस्पात, रासायनिक उद्योग, ईंधन व शक्ति का विस्तार करना तथा मशीन निर्माण क्षमता स्थापित करना, जिससे आगामी लगभग 10 वर्षों में देश के स्वयं के साधनों से औद्योगीकरण की आवश्यकताएं पूरी की जा सकें।
(4) देश की श्रम शक्ति का अधिकतम उपयोग करना तथा रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना।
(5) अवसर की समानता (Equality of opportunity) को अधिकाधिक बढ़ाना तथा आय व धन के वितरण की असमानता को कम करना एवं आर्थिक शक्ति का समान वितरण करना।
पुन: तीसरी योजना के अन्तर्गत खाद्य उत्पादन में 6 प्रतिशत औसत वार्षिक वृद्धि तथा औद्योगिक उत्पादन में 14% वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य निर्धारित किया था, किन्तु योजना अवधि में खाद्यान्न उत्पादन में केवल 2 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि ही हो सकी, योजना के 5 वर्षों में राष्ट्रीय आय की वृद्धि 5.0% प्रतिवर्ष पर 2.5% की वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त की गई तथा प्रतिव्यक्ति राष्ट्रीय आय में वार्षिक वृद्धि दर 0.2% की ही रही, इस योजना की असफलता का मुख्य कारण 1962 में चीन के साथ तथा 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध छिड़ना था। 1965-66 में देश में सूखा पड़ा। अत: 1965-66 में तो राष्ट्रीय आय में वृद्धि की अपेक्षा वस्तुत: 4.7% की कमी हुई। तृतीय योजना के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र में परिव्यय की प्रस्तावित राशि रु. 7,500 करोड़ थी, जबकि वास्तविक व्यय रु. 8,577 करोड़ था।
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