Explanation : पंकज तो पंकज, मृगांक भी है मृगांक री प्यारी। मिली न तेरे मुख की उपमा, देखी वसुधा सारी।। पंक्ति में लाटानुप्रास अलंकार होता है। यहां पंकज और मृगांक की आवृत्ति है– पहले पंकज शब्द का साधारण अर्थ कमल है और दूसरे पंकज की कीचड़ आदि जै
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