Explanation : मन की उतप्त वेदना, मन ही मन में बहती थी। चुप रहकर अन्तर्मन में, कुछ मौन व्यथा कहती थी।। दुर्गम पथ पर चलने का वो संबल छूट गया था। अविचल, अविकल वह प्राणी, भीतर से टूट गया था। उपर्युक्त काव्य—पंक्तियों में करुण रस अभिव्यंजित हो रहा
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