जैनध आगम की भाषा प्राकृत हे। यद्यपि कुछ जैन साहित्य संस्कृत में भी लिखे हुए मिलते हैं। जैन साहित्य जिसे आगम कहा जाता है इसमें 12 अंग, 12 उपांग, 10 प्रकीर्ण, 6 छंद सूत्र नन्दि सूत्र, अनुयोग और मूल सूत्रों की गणना होती है। आगमों की रचना संभवत: श्वेताम्
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