Explanation : निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह पंक्ति में वीर रस है। वीर रस की परिभाषा अनुसार–शत्रु का उत्कर्ष, दीनों की दुर्दशा, धर्म की हानि आदि को देखकर इनको मिटाने के लिए हृदय में 'उत्साह' जाग्रत होता है वह विभाव, अनुभाव और संचारी भाव
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