Explanation : किलक अरे मैं नेह निहारूँ। इन दाँतों पर मोती वारूँ में वात्सल्य रस है। वात्सल्य रस की परिभाषा अनुसार — माता—पिता का संतान के प्रति जो स्नेह होता है, उसे 'वात्सल्य' कहते हैं, यही 'वात्सल्य' स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव
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