Explanation : मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरि सोय। जा तन की झाँई परे, श्याम हरित दुति होय।। इस पंक्ति में भक्ति रस है। भक्ति रस की परिभाषा अनुसार– भगवत् गुण सुनकर जब चित्त उसमें निमग्न हो जाता है, तब 'भगवद्विषयक अनुरांग' नामक स्थायी भाव उत्पन्न ह
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