मध्यकालीन भारत

  • ‘वेदत्रयी’ के अंतर्गत सम्मिलित है?
    'वेदत्रयी' में मुख्य रूप से तीन वेदों ऋवेद, यजुर्वेद, तथा सामवेद की गणना की जाती है। इनमें से ऋग्वेद मंत्रों का एक संकलन है जिन्हें यज्ञों के अवसर पर गाया जाता था। 'यजुर्वेद' में यज्ञों को संपन्न कराने के लिए उपयोगी मंत्रों की संकलन है जिनका उच्चारण ...Read More
  • ‘द्विज’ किसे कहा जाता था?
    'द्विज' के अंतर्गत ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्य को शामिल किया गया था। 'शूद्र' द्विज कोटि में शामिल नहीं थे। इन्हीं तीन वर्णों - ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्य के लिए ही उपनयन संस्कार का प्रावधान किया गया था। इन्हें 'द्विज' कहा जाता था, क्योंकि उपनयन द् ...Read More
  • किसको वर्णसंकार समझा जाता था?
    अंतर्णीय विवाह से उत्पन्न संतानों को सूत्रकारों ने वर्णसंकर कहा। पूर्व मध्यकाल तक भारत में वर्णसंकर जातियों की संख्या 64 हो गयी थी। बतादें कि इस प्रकार के प्राचीन एवं मध्यकालीन भारतीय इतिहास से सं​बंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते है। जिसके उत्तरों भी कभी ...Read More
  • एकलव्य किस गुरु का स्वघोषित शिष्य था?
    एकलव्य द्रोणाचार्य के स्वघोषित शिष्य थे। द्रोणाचार्य द्वारा एकलव्य को शिष्य बनाने से मना कर देने पर भी एकलव्य ने द्रोणाचार्य को ही अपना गुरु माना और उनकी मिट्टी की प्रतिमा बनाकर उसे साक्षी मानते हुए धनुर्विद्या में सिद्धहस्तया प्राप्त की। बतादें कि इ ...Read More
  • सुदास किस वंश का था?
    सुदास भरतवंश का शासक था। विश्वामित्र इसी भरतवंश के कुलपुरोहित थे जिसे हटाकर सुदास ने ​वशिष्ठ को यह पद प्रदान किया जिसके कारण परुष्णी (रावी) नदी के तट पर दाशराज्ञ युद्ध हुआ जिसमें सुदास विजयी हुआ था। बतादें कि इस प्रकार के प्राचीन एवं मध्यकालीन भारतीय ...Read More
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