जैन धर्म लगभग 300 ई. पू. में श्वेताम्बर तथा दिंगम्बर नामक दो संप्रदायों में बंट गया था। स्थूलभद्र के नेतृतव में जो लोग मगध में रह गये थे, श्वेताम्बर कहलाये तथा जो भद्रबाहु (ये अपने शिष्यों सहित कर्नाटक चले गये थे) और उनके शिष्य दिंगबर, कहलाये। प्राची
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