मालवा के परमावंशी शासकों में प्रमुख भोज-परमार (1000-1055) ई. अपनी विद्वता के कारण 'कविराज' की उपाधि से विभूषित था। उसने 'समरांगण सूत्रधार', 'सरस्वतीकंठाभरण', सिद्धांत संग्रह, 'युक्तकल्पतरु', 'योग सूत्रवृत्ति', आयुर्वेद सर्वस्य आदि प्रमुख पुस्तकों की
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