वैदिक काल में जीविकोपार्जन हेतु 'वेद-वेदांग' पढ़ाने वाला अध्यापक 'उपाध्याय' कहलाता था जबकि पाणिनी ने चार प्रकार के अध्यापकों का उल्लेख किया है जो आचार्य, प्रवक्ता, श्रेणिय तथा अध्यापक हैं, में आचार्य अध्यापक की सबसे बड़ी पदवी थी। यजुर्वेद के मंत्रों
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