Explanation : मेरे नगपति! मेरे विशाल! साकार, दिव्य, गौरव विराट्, पौरूष के पुन्जीभूत ज्वाल! पंक्ति में उल्लेख अलंकार होता है। यहां एक नगपति (हिमालय) का गौरव, पौरुष, ज्वाल, हिम-किरीट और दिव्य भाल इन अनेक रूपों में वर्णन है, अत: विषय भेद द्वारा उ
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