Explanation : ऋग्वेद युग में बलि, यज्ञ-बलि के रूप में होती थी, इंद्र और अग्नि समस्त जन द्वारा दी गई बलि ग्रहण करने के लिए आहूत होते थे। साथ में स्तुतिपाठ समवेत किया जाता था, जिससे देवता प्रसन्न होकर उन्हें भौतिक सुख व युद्ध में विजय प्रदान करे
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