Explanation : गृहस्थ आश्रम को धर्म, अर्थ और काम का संगम कहा गया है। प्राचीन काल में सामाजिक व्यवस्था के दो स्तंभ थे – वण और आश्रम, व्यक्तिगत संस्कार के लिए उसके जीवन का विभाजन चार आश्रमों में किया गया था, ये चार आश्रम थे – ब्रह्राचर्य, गृहस्थ,
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