बाणभट्ट के गद्य (कादम्बरी) की रीति पाच्चाली रीति की विशेषता है कि उसमें शब्द और अर्थ का समन्वय और संतुलन होता है। आदर्श गद्य शैली के स्वरूप का उल्लेख बाण ने हर्षचरित की प्रस्तावना में किया है :
'नवोsअर्थो जातिरग्राम्या श्लेषोsक्लिष्ट: स्फुटो रस
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