संस्कृत

  • ‘मेघदूतम्’ में यक्ष का नाम क्या था?
    'मेघदूतम्' में यक्ष का नाम हेममाली था और ​यक्षिणी का नाम विशालाक्षी था। यक्ष को अलकाधीश्वर कुबेर ने जो शाप दिया है, उसका आधार पदमपुराण और ब्रह्रावैवर्वपुराण है। यहां के 'योगिनी' नामक आषाढ़ कृष्ण पक्ष एकादशी-माहात्म्य प्रसंग से जिसे अंश को लेकर महाकवि ...Read More
  • यक्ष का प्रवास किस पर्वत पर था?
    'मेघदूतम्' में यक्षों के स्वामी कुबेर द्वारा अभिशप्त यक्ष रामगिरि पर्वत (रामगिर्याश्रमेषु) पर एक वर्ष तक अपनी पत्नी से वियुक्त होकर निवास करता है। 'रामगिरि' मध्य प्रदेश के रामगढ़ पर्वत को रामगिरि माना गया है। प्रसिद्ध टीकाकार वल्लभ मल्लिनाथ ने इस राम ...Read More
  • ‘मेघदूतम्’ में अभिशप्त यक्ष कहा के निवासी बने?
    'मेघदूतम्' में यक्षों के स्वामी कुबेर द्वारा अभिशप्त यक्ष रामगिरि पर्वत (रामगिर्याश्रमेषु) पर एक वर्ष तक अपनी पत्नी से वियुक्त होकर निवास करता है। 'रामगिरि' मध्य प्रदेश के रामगढ़ पर्वत को रामगिरि माना गया है। प्रसिद्ध टीकाकार वल्लभ मल्लिनाथ ने इस राम ...Read More
  • यक्ष को किसने शाप दिया है?
    अलकापुरी के स्वामी कुबेर ने यक्ष को शाप दिया है। कवि ने शाप का कारण, यह द्वारा अपने कार्य में असावधानी (स्वाधिकारात्प्रमत्त:) करना बताया गया है, परंतु यह किस प्रकार के कार्य में असावधानी की थी, यह नहीं बताया है। ब्रह्रापुराण में शाप का कारण स्वामी की ...Read More
  • यक्ष के प्रवास की अवधि क्या थी?
    'मेघदूतम' में यक्ष का एक वर्ष का था। अलकापुरी के स्वामी कुबेर ने अपने कार्य उत्तरदायित्व के साथ न निभाने के कारण एक यक्ष को शाप दिया कि वह एक वर्ष तक अपनी पत्नी से वियुक्त होकर मर्त्यलोक में निवास करें। वह शापवश रामगिरि पर्वत पर निवास करता है। महाकवि ...Read More
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