भर्तृहरि शतकत्रय के प्रणेता कहे जाते हैं। ये तीन शतक हैं — श्रृंगारशतक, नीतिशतक और वैराग्यशतक। भर्तृहरि वाक्यपदीय के भी रचयिता माने जाते हैं। संभवत: वैराग्यशतक इनमें कवि की अंतिम रचना है। श्रृंगारशतक की कुल छंद संख्या 103, नीतिशतक की संख्या 101 है और
...Read More