'यजुष' का शाब्दिक अर्थ है - यज्ञ, पूजा, श्राद्ध, आदर आदि। इस वेद के मंत्रों का पाठ यज्ञ में अध्वर्यु नामक पुरोहित वर्ग करता है। इसकी वाजसनेयी संहिता में 40 अध्याय है। प्रारंभ के 25 अध्याय विषय वस्तु की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रथम और द्वितीय
...Read More