द्रोण अनाज मापने की इकाई थी। इसके अतिरिक्त अनाज मापने का बाट, प्रस्थ, आडक, तथा खारी था। भूमि पर राज्य तथा कृषक दोनों का अधिकार होता था। राजकीय भूमि की व्यवस्था करने वाला प्रधान अधिकारी 'सीताध्यक्ष' था जो दासों, कर्मकारों तथा बंदियों की सहायता से खेती
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