अशोक ने दूसरे तथा सातवें स्तंभ लेखों में 'धम्म' की व्याख्या इस प्रकार की हैं - 'धम्म है साधुता, बहुत से कल्याणकारी अच्छे कार्य करना, पाप रहित होना, मृदुता, दूसरों के प्रति व्यवहार में उदारता, दया, दान तथा शुचिता।' अशोक ने अपने 12वें शिलालेख में धम्म
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