न्याय दर्शन के प्रवर्तक गौतम ऋर्षि है इन्हें अक्षपाद की कहते जाता है। न्याय का शाब्दिक अर्थ तर्क या निर्णय है तो इस बात का सूचक है कि यह दर्शन मुख्यत: बौद्धिक, विश्लेषणात्मक तथा तार्किक है। इसे तर्कशास्त्र, प्रमाणशास्त्र, वाद विद्या, हेतु विद्या आन्व
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