मौर्य साम्राज्य में दो प्रकार की भूमि थी एक तो वह जो राज्य के प्रत्यक्ष अधिकार में थी, दूसरी वह जो किसानों के पास थी। राज्य को अपनी प्रत्यक्ष भूमि से जो आय होती थी उसे सीता आय या सीता भूमि कहते थे। वस्तुत: राजकीय भूमि पर दासों, कर्मकारों, शूद्रों (जन
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