मीमांसा दर्शन के अनुसार मोक्ष या मुक्ति कर्म से ही संभव है। यह दर्शन कर्म को ही महत्व देता है, जो अपनी शक्ति (अपूर्व) से फल प्रदान करने में सक्षम है। इस दर्शन का प्रधान लक्ष्य कर्म की महत्ता को प्रतिपादित करना है। आत्मा का शरीर, इंद्रियों एवं बाह्रा
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