प्राचीन काल भारत

  • किसको वर्णसंकार समझा जाता था?
    अंतर्णीय विवाह से उत्पन्न संतानों को सूत्रकारों ने वर्णसंकर कहा। पूर्व मध्यकाल तक भारत में वर्णसंकर जातियों की संख्या 64 हो गयी थी। बतादें कि इस प्रकार के प्राचीन एवं मध्यकालीन भारतीय इतिहास से सं​बंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते है। जिसके उत्तरों भी कभी ...Read More
  • एकलव्य किस गुरु का स्वघोषित शिष्य था?
    एकलव्य द्रोणाचार्य के स्वघोषित शिष्य थे। द्रोणाचार्य द्वारा एकलव्य को शिष्य बनाने से मना कर देने पर भी एकलव्य ने द्रोणाचार्य को ही अपना गुरु माना और उनकी मिट्टी की प्रतिमा बनाकर उसे साक्षी मानते हुए धनुर्विद्या में सिद्धहस्तया प्राप्त की। बतादें कि इ ...Read More
  • सुदास किस वंश का था?
    सुदास भरतवंश का शासक था। विश्वामित्र इसी भरतवंश के कुलपुरोहित थे जिसे हटाकर सुदास ने ​वशिष्ठ को यह पद प्रदान किया जिसके कारण परुष्णी (रावी) नदी के तट पर दाशराज्ञ युद्ध हुआ जिसमें सुदास विजयी हुआ था। बतादें कि इस प्रकार के प्राचीन एवं मध्यकालीन भारतीय ...Read More
  • भाग और बलि क्या थे?
    'भाग' और 'बलि' राजस्व के साधन थे। ऋग्वेद में 'बलि' शब्द का उललेख कई स्थानों पर मिलता है। यह एक प्रकार का धार्मिक कर था, जिसका प्रयो भेंट तथा देवताओं को चढ़ावा के अर्थ में किया गया है। यह स्पष्ट नहीं है कि प्रजा स्वेच्छया इसे राजा को देती थी अथवा यह अ ...Read More
  • अध्वर्यु (Adhvaryu) का अर्थ है?
    वैदिक संहिताओं में चार वेदों का वर्णन किया गया है ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद एवं अथर्ववेद। इनके पुरोहित को भी अलग-अलग नामों से जाना जाता था। ऋग्वेद से संबंधित यज्ञ आदि कराने वाले पुरोहित की होता, यजुर्वेद से संबंधित यज्ञ को सम्पादित कराने वाले को अध्वर ...Read More
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