प्राचीन काल भारत

  • सोलह महाजनपदों का उल्लेख है?
    छठीं शताब्दी ईसा पूर्व छोटे-छोटे जनपदों के मिलाकर महाजनपदों के निर्माण का समय था, इसका उल्लेख हमें बौद्ध जैन साहित्य में मिलता है। बौद्ध एवं ग्रंथ अंगुत्तर निकाय में इन 16 महाजनपदों का वर्णन इस प्रकार है - अंग, मगध, काशी, कोशल, वज्जि, मल्ल, चेदि, वत् ...Read More
  • भारतीय संस्कृति के अंतर्गत ‘ऋत्’ का अर्थ है?
    'ऋत्' प्राचीन वैदिक धर्म में सही सनातन प्राकृतिक व्यवस्था और संतुलन के सिद्धांत को कहते हैं, अर्थात् वह तत्व जो पूरे संसार और ब्रह्माण्ड को धार्मिक स्थिति में रखे या लाए। वैदिक संस्कृत में इस शब्द का अर्थ 'ठीक' से जुड़ा गया, सत्य, सही या सुव्यवस्थित' ...Read More
  • मनुस्मृति का टीकाकार कौन था?
    मनुस्मृति के प्रसिद्ध टीकाकार मेघातिथि हैं। मेघातिथि के अलावा मनुस्मृति पर विश्वरूप कुल्लुक भट्ट तथा गोविंद राज ने भी टीका लिखी है। याज्ञवल्क्य स्मृति का रचनाकार 100 ई. से 300 ई. तक माना जाता है। याज्ञवल्क्य स्मृति में शूद्रों की व्यापारी, कृषक और का ...Read More
  • ‘वेदत्रयी’ के अंतर्गत सम्मिलित है?
    'वेदत्रयी' में मुख्य रूप से तीन वेदों ऋवेद, यजुर्वेद, तथा सामवेद की गणना की जाती है। इनमें से ऋग्वेद मंत्रों का एक संकलन है जिन्हें यज्ञों के अवसर पर गाया जाता था। 'यजुर्वेद' में यज्ञों को संपन्न कराने के लिए उपयोगी मंत्रों की संकलन है जिनका उच्चारण ...Read More
  • ‘द्विज’ किसे कहा जाता था?
    'द्विज' के अंतर्गत ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्य को शामिल किया गया था। 'शूद्र' द्विज कोटि में शामिल नहीं थे। इन्हीं तीन वर्णों - ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्य के लिए ही उपनयन संस्कार का प्रावधान किया गया था। इन्हें 'द्विज' कहा जाता था, क्योंकि उपनयन द् ...Read More
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