पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे। उन्होंने भिक्षुओं के लिए केवल 4 व्रतों का विधान किया था - अहिंसा, सत्य, अस्तेय तथा अपरिग्रह। बाद में 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने इसमें एक पांचवां व्रत ब्रह्राचर्य भी जोड़ दिया तथा उसका पालन करना अनिवार्य
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