अशोक कालीन अधिकांश शिलालेख ब्राह्मी लिपि और प्राकृत भाशा में है किंतु शहबाजढ़ी और मानसेहरा के शिलालेख खरोष्ठी लिपि में हैं। लघमान, तक्षशिला के लेख आरमेइक लिपि में, कंधार लेख ग्रीक लिपि एवं अरामेइक का साथ-साथ प्रयोग हुआ हैं, यह द्विभाषिक लिपि में हैं।
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