Explanation : पराधीन जो जन, नहीं स्वर्ग, नकर ता हेतु। पराधीन जो जन नहीं, स्वर्ग, नकर ता हेतु।। पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है। अनुप्रास अलंकार की परिभाषा – जहाँ व्यंजनों की आवृत्ति बार-बार हो, चाहे उनके स्वर मिलें या न मिलें वहाँ अनुप्रास अलंक
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