Explanation : विभवशालिनी, विश्वपालिनी दुखहत्री है, भय-निवारिणी, शांतिकारिणी सुखकसर्त्री है। पंक्ति में अनुप्रास अलंकार होता है। इन काव्य पंक्तियों में पास-पास प्रयुक्त शब्द 'विभवशालिनी' और विश्वपालिनी' में अन्तिम वर्ण 'न' का आवृत्ति और 'भयनिवा
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