Explanation : सागर की लहर-लहर में है हास स्वर्ण-किरणों का। सागर के अन्तस्तल में अवसाद अवाक कणों का।। पंक्ति में अप्रस्तुत प्रशंसा अलंकार होता है। यहां अप्रस्तुत सागर के वर्णन से प्रस्तुत धीर, वीर, गंभीर व्यक्ति का वर्णन किया गया है। अप्रस्तुत
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