(A) एक दूसरे को काटती हुई दो सीधी रेखाएं
(B) एक दूसरे को काटती हुई चार सीधी रेखाएं (C) एक दूसरे को काटती हुई दो सीधी रेखाएं, जो आगे मुड़ती है
(D) एक दूसरे को काटती हुई दो सीधी रेखाएं, जो आगे धुमती जाती है
Answer :एक दूसरे को काटती हुई दो सीधी रेखाएं, जो आगे मुड़ती है
Explanation : स्वास्तिष्क में एक दूसरे को काटकती हुई दो सीधी रेखाएं होती हैं, जो आगे चलकर मुड़ जाती है। इसके बाद भी ये रेखाएं होती हैं, जो आगे चलकर मुड़ जाती है। इसके बाद भी ये रेखाएं अपने सिरों पर थोड़ी और आगे की तरफ मुड़ी होती है। स्वास्तिष्क की यह आकृति 02 प्रकार की हो सकती है। प्रथम स्वाष्तिक जिसमें रेखाएं आगे की ओर इंगित करती हुई हमारी दायी ओर मुड़ती है। इसे स्वस्तिक कहते हैं। यही शुभ चिन्ह है जो हमारी प्रगति की ओर संकेत करता है। दूसरी आकृति में रेखाएं पीछे की ओर संकेत करती हुई हमारे बायी ओर मुड़ती है। इसे वामावर्त स्वस्तिक कहते हैं। भारतीय संस्कृति में इसे अशुभ माना जाता है। जर्मनी के तानाशाह हिटलर के ध्वज में यहीं वामावर्त स्वास्तिक अंकित था। ऋग्वेद की ऋचा में स्वस्तिक को सूर्य का प्रतीक माना गया है और उसकी 4 भुजाओं को 4 दिशाओं की उपमा दी गई है। सिद्धांत सार ग्रंथ में उसे विश्व ब्रह्राण्ड का प्रतीक चिन्ह माना गया है। उसके मध्य भाग को विष्णु की कमल नाभि और रेखाओं को ब्रह्मा जी के 4 मुख, 4 हाथ और 4 वेदों के रूप में निरूपित किया गया है। अन्य ग्रंथों में 4 युग, 4 वर्ण, 4 आश्रम (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) के 4 प्रतिफल प्राप्त करने वाली समाज व्यवस्था को जीवन्त रखने वाले संकेतों को स्वस्तिक का प्रयोग होता है। जातक की कुंडली बनाते समय या कोई मंगल या शुभ कार्य करते समय सर्वप्रथम स्वास्तिष्क को ही अंकित किया जाता है। ....अगला सवाल पढ़े
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