Explanation : किसानों की समस्याओं के सम्यक समाधान हेतु प्रो. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में नवंबर, 2004 में नेशनल कमीशन ऑफ फार्मर्स का गठन किया गया था। 2 वर्ष में इसके द्वारा 6 रिपोर्ट तैयार की गई। स्वामीनाथन आयोग ने दिसंबर 2004, अगस्त 2005, दिसंबर 2005 और अप्रैल 2006 में क्रमश: चार रिपोर्ट सौंपी थी और अंतिम रिपोर्ट चार अक्टूबर 2006 को सौंपी गई थी, जिसमें फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाने समेत किसानों की दशा सुधारने के लिए किए जाने वाले उपायों के सुझाव दिए गए थे।
स्वामीनाथन आयोग की प्रमुख सिफारिशें थी–
• फसल उत्पादन मूल्य से 50% ज्यादा दाम किसानों को मिले।
• किसानों को अच्छी किस्म के बीज कम दामों में मुहैया कराए जाएँ।
• गांवों में किसानों की मदद के लिए विलेट नॉलेज सेंटर या ज्ञान चौपाल बनाए जाएँ।
• महिला किसानों के लिए क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएँ।
• किसानों के लिए कृषि जोखिम फंड बनाया जाए, ताकि प्राकृतिक आपदाओं के समय किसानों की मदद की जा सके।
• सरप्लस और इस्तेमाल नहीं हो रही जमीन के टुकड़ों का विवरण किया जाए।
• खेतिहर जमीन और वन भूमि को गैर-कृषि उद्देश्य के लिए कॉर्पोरेट को न दिया जाए।
• फसल बीमा सुविधा पूरे देश में हर फसल के लिए मिले।
• खेती के लिए कर्ज की व्यवस्था हर गरीब और जरुरतमंद तक पहुँचे।
• सरकार की मदद से किसानों को दिए जाने बाले कर्ज पर ब्याज दर कम करके 4% किया जाए।
• कर्ज की वसूली में राहत, प्राकृतिक आपदा या संकट से जूझ रहे इलाकों में ब्याज से राहत हालत सामान्य होने तक जारी रहे।
• लगातार प्राकृतिक आपदाओं की सूरत में किसान को मदद पहुँचाने के लिए एक एग्रीकल्चर रिस्क फंड का गठन किया जाए।
• 28% भारतीय परिवार गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं, ऐसे लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा का इंतजाम करने की सिफारिश की गई।
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