सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने एनआईटी श्रीनगर से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। हालांकि उनका मन नौकरी करने का नहीं था जिसके चलते उन्होंने साल 1988 में स्टूडेंट्स एजुकेशन ऐंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (एसईसीएमओएल) की स्थापना की। सोनम को एसईसीएमओएल परिसर को डिजाइन करने के लिए भी जाना जाता है जो पूरी तरह से सौर-ऊर्जा पर चलता है, और खाना पकाने, प्रकाश या तापन (हीटिंग) के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग नहीं करता है। वांगचुक के बनाए घरों से भारतीय सेना को भी खासी मदद मिली है।
इंजीनियर से इनोवेटर बने सोनम वांगचुक ने सोलर पावर से गर्म रहने वाली खास तरह की मिट्टी की झोपड़ियां (प्री-फैब्रिकेटेड सोलर हीटेड मड हट) तैयार की हैं। मिट्टी से बनी ये झोपड़ियां पर्यावरण के लिए पूरी तरह अनुकूल हैं और अपनी खास बनावट के कारण लद्दाख में सर्दियों के दौरान इन्हें गर्म रखने के लिए ज्यादा हीटिंग की जरूरत नहींपड़ती है। लद्दाख दुनिया की सबसे ठंडी जगहों में से एक है। मिट्टी से बनी ये झोपड़ियां पर्यावरण के लिए पूरी तरह अनुकूल हैं और अपनी खास बनावट के कारण लद्दाख में सर्दियों के दौरान इन्हें गर्म रखने के लिए ज्यादा हीटिंग की जरूरत नहीं पड़ती है।
बता दें कि इंडियन आर्मी ने ऐसी कम से कम 10,000 झोपड़ियों में दिलचस्पी दिखाई है। वांगचुक के किरदार को फिल्म थ्री इडिट्स में आमिर खान ने निभाया था। वांगचुक ने बताया कि इन मिट्टी से बनी झोपड़ियों का प्रोटोटाइप सफल रहा है और आर्मी ने ऐसी कम से कम 10,000 झोपड़ियों में दिलचस्पी दिखाई है। वांगचुक के मुताबिक उनकी लद्दाख में एक प्लांट बनाने की योजना है। मिट्टी से बनी इन झोपड़ियों को कहीं भी ले जाया जा सकता है और आर्मी की जरूरतों के हिसाब से इन्हें कहीं भी असेंबल किया जा सकता है। इन खास झोपड़ियों को गर्म रखने में बिल्कुल भी पैसा नहीं लगेगा।