शत्रु संपत्ति का अर्थ उन अचल संपत्तियों से है, जो भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन की नागरिकता लेने वाले लोग अपने पीछे यहां छोड़कर एक हैं। भारतीय संसद ने 1968 में शत्रु संपत्ति (संरक्षण या पंजीकरण) अधिनियम को पारित करते हुए ऐसी सभी संपत्तियों पर भारत सरकार का मालिकाना हक तय कर दिया था। इसके चलते 1947 के बंटवारे, 1965 के भारत-पाक युद्ध, 1962 के भारत-चीन युद्ध और उसके बाद 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद जाने वालों की अचल संपत्तियों पर भारत सरकार का अधिकार हो गया था।
अब मोदी सरकार के द्वारा शत्रु संपत्ति अधिनियम में बदलाव कर दिया गया है। जिसके तहत देश के बंटवारे के दौरान देश छोड़कर दूसरे देशों यानी पाकिस्तान और चीन में बसे लोगों के उत्तराधिकारियों का अब इस संपत्ति पर कोई दावा नहीं रह गया है।
आपको बता दे कि भारत में 9280 पाकिस्तानी नागरिकों की और 126 चीनी नागरिकों की शत्रु संपत्ति। पाकिस्तानी नागरिकों की सबसे ज्यादा 4991 शत्रु संपत्तियां उत्तर प्रदेश राज्य में हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में 2735 और दिल्ली में 487 संपत्तियां हैं। चीन जा चुके लोगों की सबसे अधिक 57 संपत्तियां मेघालय में हैं। इसके अलावा 29 संपत्तियां पश्चिम बंगाल ओर 7 असम में मौजूद हैं। 2018 में तत्कालीन मंत्री हंसराज अहीर ने राज्यसभा में कहा था कि देश में मौजूद शत्रु संपत्ति की कुल कीमत एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इसमें 4000 से अधिक संपत्ति उत्तर प्रदेश में, करीब 2700 पश्चिम बंगाल में और 487 से अधिक नई दिल्ली में है।