(A) निर्गुणी के पास गुणवान का होना, उसके महत्व को समझने वाला, अयोग्य व्यक्ति को अधिक सम्मान देना
(B) जिसे कष्ट नहीं भोगना पड़ा हो वह दूसरे का कष्ट क्या समझे
(C) जीवन भर बुरा काम कर अंत में अच्छा बनने का ढोंग करना
(D) जहां बहुत अधिक होता है वह घटते-घटते भी पर्याप्त रह जाता है