Explanation : संस्कृत में पुरुष तीन प्रकार के होते हैं। पहला,
प्रथमपुरुष या अन्य पुरुष–उत्तम पुरुष के अहं, आवां, वयम् और मध्यम पुरुष के त्वम्, युवां, यूयम् इन छह शब्दों को छोड़कर संस्कृत वाड्मय के सभी कर्तृपद प्रथम पुरुष के अंतर्गत गिने जाते हैं।
यथा– भवान्, भवती, बालक:, बालिका, स:, सा, नर:, वानर:, पिता, पुत्र: इत्यादि।
और इन सभी कर्तृ पदों के साथ प्रथम पुरुष की क्रिया 'पठति, पठत:, पठन्ति' आदि क्रियाओं का ही प्रयोग होता है।
दूसरा,
मध्यम पुरुष–जिससे बात कही जाय, वह मध्यम पुरुष है। इसमें 'त्वम्, युवाम्, यूयम्' कर्तृपद आते हैं। इनके साथ मध्यमपुरुष की क्रिया क्रमश: त्वम् के साथ पठसि युवां के साथ पठथ: तथा यूयं के साथ पठथ का प्रयोग होगा।
तीसरा,
उत्तम पुरुष–जो बात को कहता है, वह उत्तम पुरुष है। इसके अंतर्गत 'अहं, आवाम्, वयम्' कर्तृपद आते हैं। इनके साथ उत्तम पुरुष की क्रिया क्रमश: अहं के साथ 'पठामि' आवां के साथ पठाव: वयं के साथ 'पठाम:' का प्रयोग होता है।
....अगला सवाल पढ़े