Explanation : संगोष्ठी में सम् उपसर्ग होगा। सं (उपसर्ग) + गोष्ठी (मूल शब्द)–‘गोष्ठी’ शब्द से पहले उपसर्ग के रूप में ‘सं’ (सम्) लगा हुआ है, जो गोष्ठी शब्द से ‘संगोष्ठी’ शब्द को उसकी अर्थ, अवधारण तथा परिभाषा की दृष्टि से अलग करता है। ‘संगोष्ठी’ स्त्रीलिंग-शब्द है। ‘गोष्ठी’ का अर्थ है– मित्रमंडली अथवा शुभचिंतकों अथवा परिचितों का समुदाय। उपसर्ग उस शब्दांश या अव्यय को कहते हैं, जो धातुओं, संज्ञाओं और विशेषणों के पहले आकर उनके अर्थ में परिवर्तन ला देता है, जैसे- 'अन' उपसर्ग को 'बन' के पहले रख देने पर नया शब्द 'अनबन' बनता है, जिसका विशेष अर्थ मनमुटाव होता है।
प्र, दुस, निस्, निर्, वि, अति, अधि, अनु, अप, अभि, अव, उत्, उद्, उप, नि, परि, पति, सम आदि उपसर्ग हैं, जो संस्कृत भाषा के हैं। स, बिन, अन, उन आदि भाषा के उपसर्ग हैं।
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