भारतीय संविधान का अनुच्छेद 368 संविधान में संशोधन प्रक्रिया से संबंधित है। अनुच्छेद 368 दो प्रकार के संशोधनों की व्यवस्था करता है :
(1) विशेष बहुमत द्वारा संशोधन और (2) विशेष बहुमत तथा आधे राज्यों द्वारा समर्थन द्वारा संशोधन।
इसके अतिरिक्त संविधान के गई उपबंध संसद के दोनों सदनों के साधारण बहुमत द्वारा संशोधित किए जा सकते हैं जैसे — नए राज्य के गठन, प्रवेश, निर्माण, सीमा-परिवर्तन इत्यादि, राज्य विधान परिषद का निर्माण व समापन, संसद में गणपूर्ति, नागरिकता की प्राप्ति व समाप्ति व कई अन्य (कुल 18 उपबंध)। विशेष बहुमत तथा आधे राज्यों, द्वारा समर्थन के माध्यम से संशोधित उपबंध निम्न हैं — (i) राष्ट्रपति का निर्वाचन व प्रक्रिया, (ii) केंद्र व राज्य कार्यकारिणी की शक्तियों का विस्तार, (iii) उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय, (iv) केंद्र व राज्यों के मध्य शक्ति का विभाजन, (v) सातवीं अनुसूची, (vi) संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्व एवं (vii) अनुच्छेद 368 स्वयं।
उल्लेखनीय है कि संविधान के अधिकांश उपबंध विशेष बहुमत अर्थात् संसद के प्रत्येक सदन के कुल सदस्यों के बहुमत एवं प्रत्येक सदन के उपस्थित व मतदान करने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत, से किए जाते हैं। इस प्रकार के संशोधनों में शामिल हैं :
(i) मूल अधिकार संबंधी संशोधन,
(ii) नीति-निदेशक तत्व संबंध,
(iii) अन्य शेष सभी उपबंधों में संशोधन जो साधारण बहुम या विशेष बहुमत और आधे राज्यों का अनुसमर्थन की व्यवस्था में न आता हो।
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