समरथ को नहिं दोष गुसाईं का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) अपने ही से हानि उठाना
(B) पेट को खाना चाहिए केवल बातों से पेट नहीं भरता
(C) सामर्थ्यवान के दोष अथवा अपराध भी क्षम्य है। सामर्थ्यवान का दोष नहीं खोजा जाता
(D) अपनी इच्छा से कुछ नहीं होता है

Answer : सामर्थ्यवान के दोष अथवा अपराध भी क्षम्य है। सामर्थ्यवान का दोष नहीं खोजा जाता

Explanation : समरथ को नहिं दोष गुसाईं का अर्थ samrath ko nahi dosh gusain है 'सामर्थ्यवान के दोष अथवा अपराध भी क्षम्य है। सामर्थ्यवान का दोष नहीं खोजा जाता।' हिंदी लोकोक्ति समरथ को नहिं दोष गुसाईं का वाक्य में प्रयोग होगा – संजय ने कहा 'मैं, आज विद्यालय देर से पहुंचा तो मुझ पर पांच रुपया अर्थ दण्ड कर दिया गया, और प्रबंधक जी का लड़का रोज देर से आता है उसको कोई कुछ नहीं कहता'। तब उसके पिताजी ने कहा, बेटा इसी को कहते हैं। समरथ को नाहिं दोस गुसाईं।  हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'समरथ को नहिं दोष गुसाईं' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
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Web Title : Samrath Ko Nahi Dosh Gusain