राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की स्थापना राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के अंतर्गत एक सांविधिक निकाय के रूप में की गयी। इस आयोग का गठन 31 जनवरी, 1992 को श्रीमती जयंती पटनायक की अध्यक्षता में किया गया था। आयोग की भूमिका निम्नलिखित हैं–
राष्ट्रीय महिला आयोग के प्रकार्य एवं शक्तियां
1. आयोग के द्वारा निम्नलिखित सभी या कुछ कृत्यों का पालन किया जाएगा :
(a) महिलाओं के कल्याण से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों एवं अन्य विधियों के अधीन उपबंधित रक्षोपायों से संबंधित सभी विषयों का अन्वेषण और परीक्षण करना;
(b) उन रक्षोपायों के कार्यकरण के सम्बन्ध में प्रतिवर्ष अथवा आयोग जब भी उचित समझे, केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रेषित करना;
(c) अपनी रिपोर्ट के माध्यम से महिलाओं की दशा में सुधार करने हेतु संघ या किसी राज्य द्वारा उन रक्षोपायों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु सिफारिशें करना;
(d) संविधान और अन्य विधियों में विद्यमान महिलाओं को प्रभावित करने वाले उपबंधों का समय-समय पर पुनर्विलोकन करना। इसके साथ ही इन उपबंधों में संशोधन करने की सिफारिश करना जिससे कि ऐसे विधानों में व्याप्त किसी कमी, अपर्याप्तता या त्रुटि को दूर करने के लिए उपचारी विधायी उपायों का सुझाव दिया जा सके;
(e) महिलाओं से संबंधित, संविधान और अन्य विधियों के उपबंधों के अतिक्रमण के मामलों को समुचित प्राधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करना;
(f) निम्नलिखित विषयों में संबंधित शिकायतों की जांच पड़ताल, स्वत: संज्ञान (suo-motu) लेना तथा इन्हें समुचित प्राधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करना :
(i) महिलाओं के अधिकार का उल्लंघन;
(ii) महिला संरक्षण, विकास एवं समानता सम्बन्धी रक्षोपायों का क्रियान्वयन न होना;
(iii) महिलाओं को सुरक्षा एवं सुतुष्ठि प्रदान करने के प्रयोजनार्थ नीतिगत निर्णयों, आदेशों, इत्यादि का क्रियान्वयन न होना।
(a) महिलाओं के विरुद्ध विभेद और अत्याचारों से उत्पन्न विनिर्दिष्ट समस्याओं या स्थितियों का विशेष अध्ययन अथवा अन्वेषण करना। इसके साथ ही उन बाधाओं का पता लगाना जिसने उनको दूर करने की कार्य योजनाओं की सिफारिश की जा सके;
(b) संवर्धन और शिक्षा सम्बन्धी अनुसंधान ताकि महिलाओं का सभी क्षेत्रों में सम्यक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के उपायों का सुझाव दिया जा सके। इसके अतिरिक्त उनकी उन्नति में अवरोधी उत्पन्न करने के उत्तरदायी कारणों का पता लगाना-जैसे कि आवास और मूलभूत सेवाओं की प्राप्ति में कमी, नीरसता और उपजीविकाजन्य स्वास्थ्य परिसंकटों को कम करने तथा महिलाओं की उत्पादकता में वृद्धि हेतु सहायक सेवाओं और प्रौद्योगिकी की अपर्याप्तता आदि;
(c) महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना प्रक्रिया में सहभागिता तथा परामर्श प्रदान करना;
(d) संघ और किसी राज्य के अधीन महिलाओं के विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना;
(e) किसी जेल, सुधारगृह, महिला संस्था या अभिरक्षा के अन्य स्थान का (जहां महिलाओं को बंदी के रूप में या अन्यथा रखा जाता है) निरीक्षण करना या करवाना। साथ ही यदि आवश्यक हो तो उपचारात्मक कार्रवाई हेतु सम्बंधित प्राधिकारियों से वार्तालाप;
(f) बहुसंख्यक महिलाओं को प्रभावित करने वाले प्रश्नों से सम्बंधित मुकदमों के लिए धन उपलब्ध कराना;
(g) महिलाओं से सम्बंधित किसी विषय, विशिष्टत: उन विभिन्न कठिनाईयों के सम्बंध में जिनके अधीन महिलाएं कार्य करती हैं, सरकार को समय-समय पर रिपोर्ट देना;
(h) कोई अन्य विषय जिसे केंद्र सरकार बिनिर्दिष्ट करे।
2. आयोग स्वंय द्वारा समय-समय पर उठाए जाने वाले विशिष्ट मुद्दों से निपटने हेतु आवश्यक समितियों की नियुक्ति कर सकता है।
3. आयोग अपनी और अपनी समितियों की प्रक्रिया को स्वयं विनियमित करेगा।
4. आयोग को महिलाओं के लिए संविधान तथा अन्य विधियों के अधीन उपबंधित रक्षोपायों एवं महिलाओं के अधिकारों के वंचन से सम्बंधित सभी विषयों की विवेचना करते समय एक सिविल न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होंगी। इनमें निम्नलिखित सम्मिलित हैं :
(a) भारत के किसी भी भाग से किसी व्यक्ति को समान जारी करना और उसे उपस्थित करवाना तथा शपथ का परीक्षण करना;
(b) किसी दस्तावेज के प्रकटन एवं प्रस्तुतीकरण की अपेक्षा करना;
(c) शपथपत्रों पर साक्ष्य प्राप्त करना;
(d) किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रतिलिपि की अपेक्षा करना;
(e) साक्ष्यों और दस्तावेजों की परीक्षा के लिए कमीशन जारी करना; तथा
(f) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाए।
5. सरकार द्वारा महिलाओं को प्रभावित करने वाले किसी भी निर्णय से पूर्व राष्ट्रीय महिला आयोग से विमर्श किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय महिला आयोग की कार्यप्रणाली
आयोग लिखित या मौखिक रूप से प्राप्त शिकायतों पर कार्यवाही करता है। इसके साथ ही यह महिलाओं से सम्बांधित मामलों में स्वत: संज्ञान (suo motu) भी लेता है। आयोग द्वारा प्राप्त की गयी शिकायतें महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की विभिन्न श्रेणियों यथा घरेलू हिंसा, उत्पीडन्, दहेज, अत्याचार, हत्या, अपहरण/फिरौती के लिए अपहरण, NRI विवाहों से सम्बंधित शिकायतें, परित्याग, द्वि-विवाह, बलात्कार, पुलिस उत्पीड़न/क्रूरता, पति द्वारा क्रूरता, अधिकारों से वंचित किया जाना लैंगिक भेदभाव, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न इत्यादि से सम्बंधित होती हैं।
इन शिकायतों पर निम्नलिखित तरीके से कार्यवाही की जाती है :
1. पुलिस की उदासीनता वाले विशिष्ट मामलों की जांच हेतु पुलिस अधिकारियों को भेजा जाता है और इनकी निगरानी की जाती है।
2. रुके हुए समझौते या पारिवारिक विवादों को परामर्श के माध्यम से सुलझाया जाता है।
3. विभिन्न राज्य के अधिकारियों को कार्यवाही की सुविधा के लिए अलग-अलग आंकड़े उपलब्ध कराए जाते हैं।
4. यौन शोषण की शिकायतों में सम्बंधित संगठनों से मामले के निवारण में तेजी लाने का आग्रह किया जाता है तथा सम्पूर्ण प्रक्रिया की निगरानी की जाती है।
5. आयोग, गंभीर अपराधों के लिए हिंसा एवं अत्याचार के शिकार लोगों को तत्काल राहत और न्याय प्रदान करने के लिए जांच समिति का गठन करता है।