Explanation : राणा सांगा की छतरी 8 खंभों की है। यह मांडलगढ़, भीलवाड़ा में स्थित है। इसका निर्माण भरतपुर के अशोक परमार ने करवाया था। जबकि महाराणा प्रताप की छतरी बांडोली, उदयपुर में है। यह चावंड के निकट केजड़ बांध पर बनी हुई है। इसका निर्माण बख्तावर सिंह सोनगरा ने करवाया था। यह 8 खंभों की छतरी है। भीलवाड़ा की प्रमुख की छतरियों (Bhilwara ki Pramukh Chatriya) में मांडलगढ़ की छतरी, 32 खंभों की छतरी और गंगाबाई की छतरी है।
राजस्थान की प्रमुख छतरियां है–
● 8 खंभों की छतरी : बांडोली, उदयपुर में है यह महाराणा प्रताप की है इसका निर्माण अमर सिंह प्रथम ने करवाया था।
● 8 खंभों की छतरी : सरिस्का, अलवर में यह मिश्र जी की छतरी है।
● 12 खंभों की छतरी : कुंभलगढ़ दुर्ग, राजसमंद में यह उड़ना राजकुमार पृथ्वीराज सिसोदिया की है।
● 16 खंभों की छतरी : नागौर दुर्ग में अमर सिंह राठौड़ की
● 20 खंभों की छतरी : जोधपुर में यह सिंघवियों की छतरी है।
● 32 खंभों की छतरी : मांडलगढ़, भीलवाड़ा में यह जगन्नाथ कछवाहा की है जो हिंदू मुस्लिम शैली में बनी हुई है।
● 32 खंभों की छतरी : रणथंभौर, सवाईमाधोपुर में इसका निर्माण हमीर देव चौहान ने अपने पिता जैत्रसिंह के 32 वर्ष के शासनकाल की याद में करवाया। इसे न्याय की छतरी भी कहा जाता है।
● 80 खंभों की छतरी : अलवर में यह मूसी महारानी की छतरी है जिसका निर्माण विनय सिंह ने करवाया था। इस पर रामायण और महाभारत के भित्ति चित्र है।
● 84 खंभों की छतरी : बूंदी, इसका निर्माण 1631 में राव शत्रुशाल सिंह ने करवाया, यह तीन मंजिला छतरी है जिस पर पशु पक्षियों के चित्र है।
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