Explanation : रामायण में हनुमान का रोल दारा सिंह ने किया था। दारा सिंह इससे पहले भी कई फ़िल्मों में काम किया करते थे, लेकिन रामायण में हनुमान जी के रोल ने उन्हें जो शोहरत दिलाई वो अलौकिक थी। दारा सिंह ने अपना फ़िल्मी करियर 1952 की फ़िल्म संगदिल से शुरू किया था। 1962 की फ़िल्म किंग कॉन्ग में वो पहली बार लीड रोल में नज़र आये। दारा सिंह ने मुमताज़ के साथ सबसे अधिक 16 फ़िल्में की थीं। दोनों की जोड़ी काफ़ी लोकप्रिय थी। दारा सिंह अपने केटेगरी में सबसे महंगे कलाकार थे। उस वक़्त वो एक फ़िल्म के लिए लगभग 4 लाख रुपये फीस लिया करते थे। वही दारा सिंह ने इसके बाद सिर्फ एक बार और बीआर चोपड़ा की महाभारत में हनुमान का रोल निभाया था, लेकिन वह काफी छोटा था।
बता दें, रामानंद सागर ने भगवान हनुमान के किरदार के लिए दारा सिंह (Dara Singh) से संपर्क किया तो उन्होंने इसे करने से इंकार कर दिया था। असल में सालों रेसलिंग करने के बाद दारा सिंह के घुटने और कंधे में परेशानी के कारण इस किरदार के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे। लेकिन ये रामानंद सागर का भरोसा था, कि दारा सिंह से बेहतर भगवान हनुमान का किरदार कोई और नहीं निभा सकता है। अन्तत: वह हनुमान के रोल के लिए राजी हो गये।
80 के दशक में एक ऐसा भी दौर आया था कि रामायण आने से पहले लोग नहा कर टीवी की पूजा किया करते थे। दारा सिंह के हनुमान वाले पोस्टर्स मंदिरों में लगाए जाने लगे थे। इतना ही नहीं, लोगों ने दारा सिंह की शक्ल वाले हनुमान की मूर्तियां घरों में रखनी शुरू कर दी थी और वे इनकी पूजा भी करते थे।
दारा सिंह का जन्म 19 नवंबर 1928 को पंजाब में हुआ था। दारा सिंह ने 1959 में पूर्व विश्व चैंपियन जार्ज गारडियान्का को हरा कर कामनवेल्थ की विश्व चैंपियनशिप जीत ली। जिसके बाद उनका नाम सुर्खियों में आ गया था। 1968 में दारा सिंह ने अमेरिका के विश्व चैंपियन लाऊथेज को हरा दिया. जिसके बादे वे फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैंपियन बन गए। दारा सिंह ने अपने जीवन में 500 से अधिक कुश्तियां लड़ी जहां वह 200 किलों के पहलवानों को चित कर देते थे। 50 वर्ष की उम्र तक वे पहलवानी करती रहे। 1983 तक वे इस क्षेत्र में सक्रिय रहे। इसके बाद उन्होंने कुश्ती से संन्यास ले लिया। दारा सिंह का निधन 2012 में हुआ था।....अगला सवाल पढ़े
Explanation : राजस्थान में कपिल मुनि का मेला कोलायत में कार्तिक माह में भरता है। इसी माह इसके अलावा राजस्थान में अन्नकूट मेला, गरुड़ मेला, पुष्कर मेला, कपिल धारा का मेला और चंद्रभागा मेला भी लगता है। कपिल मुनि का मेला बीकानेर जिले का सबसे बड़े ...Read More
Explanation : कपिल मुनि मेला राजस्थान के बीकानेर जिले के कोलायत में लगता है। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा पर आयोजित होता है। कोलायत का असल नाम कपिलायतन है जो ऋषि कपिल के नाम पर रखा गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यहां कपिल मुनि ने मानव जाति के क ...Read More
Explanation : डिग्गी कल्याण जी का मेला (Diggi Kalyann Ji Ka Mela) बैशाख की पूर्णिमा, भाद्रपद शुक्ला की एकादशी तथा श्रावण की अमावस्या को लगता है। टोंक जिले में मालपुरा तहसील में डिग्गी नामक स्थान पर डिग्गी कल्याणजी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। ज ...Read More
तुला राशि का शुभ रंग नेवी ब्लू यानि गहरा नीला रंग है। यह रंग आपका बिगड़ा हुआ काम बनाने में मदद करेंगे और सही राह की और अग्रसर करने में मदद करेंगे। इसके अलावा गुलाबी व हरा रंग भी आपके भाग्य के हिसाब से बेहतर हैं तो वही नारंगी और पीले रंग से बचें। बतादे ...Read More
Explanation : दामणा आभूषण (Damna Abhushan) हाथ में पहना जाता है। राजस्थान की मध्यवर्ग की स्त्रियाँ एक विशेष प्रकार की लाल रंग की ओढ़नी, जिस पर धागों की कसीदाकारी होती है, का प्रयोग करती है जिसे 'दामणी' कहा जाता है। राजस्थान महिलाऐं हाथ और कलाई ...Read More
Explanation : भारत का एहोल नगर मंदिरों का नगर कहलाता है। एहोल (Aihole) कर्नाटक के बीजापुर में स्थित बहुत प्राचीन स्थान है। इसे एहोड़ और आइहोल के नाम से भी जाना जाता है। यहां लगभग 70 मंदिरों के अवशेष मिलते हैं। इनका निर्माण काल 450-600 ई. के लग ...Read More
Explanation : भारत में विख्यात तट मंदिर तमिलनाडु के महाबलीपुरम में स्थित है। बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित होने के कारण इन्हें तट मंदिर (Shore Temple) कहा जाता है। दृविड़ वास्तु कला के उत्कृष्ट नमूना के यह मंदिर दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन मंद ...Read More
Explanation : मोपिन महोत्सव अरुणाचल प्रदेश में मनाया जाता है। मोपिन अरुणाचल प्रदेश की गालो जनजाति द्वारा प्रतिवर्ष अप्रैल में मनाया जाने वाला त्यौहार है। यह एक कृषि त्यौहार है। मोपिन कृषि की देवी का नाम है। इस दिन सभी सफेद (शुद्धता और शांति का ...Read More
Explanation : जानकी वल्लभ शास्त्री का जन्म 5 फरवरी 1916 में बिहार के गया जिले में हुआ था। 18 वर्ष की आयु में बीएचयू में संस्कृत विभाग से आचार्य की उपाधि पाई थी। शुरुआत में उन्होंने संस्कृत में कविताएं लिखीं। महाकवि निराला की प्रेरणा से हंिदूी ...Read More
Explanation : पंडित जसराज ध्रुपद, ख्याल और ठुमरी गायकी से संबंधित थे। शास्त्रीय गायिकी के रसराज कहे जाने वाले पंडित जसराज का जन्म 28 जनवरी, 1930 को हरियाणा के फतेहाबाद जिले में हुआ था। उनका संबंध भारत में शास्त्रीय संगीत के प्रतिष्ठित मेवाती घ ...Read More
Web Title : Ramayan Mein Hanuman Ka Role Kisne Kiya Tha