Explanation : राजस्थान का कबीर दादू दयाल को कहा जाता है। क्योंकि संत दादू ने भी कबीर की तरह लोक भाषा में राजस्थान में निर्गुण भक्ति आंदोलन फैलाया। दादूदयाल जी लगभग 30 वर्ष की अवस्था में देश भ्रमण समाप्त कर संवत् 1630 के आसपास सांभर में आ बसे। यहाँ इन्होंने जनसाधारण को उपदेश देने प्रारंभ किये। लोग इनके पास ब्रह्म की उपासना के लिए एकत्र होने लगे थे और संत दादू के साथ सत्संग का लाभ उठाने लगे। इनके इस स्थान को 'अलख दरीबा' कहा जाता था। दादूजी ने ऐसे स्थान को 'चौगान' भी कहा है। ....अगला सवाल पढ़े
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संत धन्ना भगत राजस्थान में जाट समाज में पैदा हुए बहुत बड़े संत जिन्होंने बाल्यावस्था में कृष्ण भक्ति की और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण उनके हाथ से भोजन करने आते थे तथा कहते हैं कि उनकी गायों की रखवाली भी भगवान कृष्ण प्रेम करते थे। वैष्णव भक्ति में प्रवीण संत धन्ना भगत रामानंद के शिष्य थे एवं रामानंद के उपदेश अनुसार ही उन्होंने अपने समाज में वैष्णव भक्ति के प्रचार और प्रसार के लिए उत्तर दिशा की ओर गमन किया तथा नागौर जिले में फिर वासी गांव से धन्ना वंशी समाज की स्थापना की। उन्होंने अपनी जाट जाति के बहुत से परिवारों को अपना शिष्य बनाया एवं उन्हें वैष्णव दीक्षा प्रदान की उनके अनुयाई वर्तमान में धन्ना वंशी स्वामी कहलाते हैं। मारवाड़ क्षेत्र में हरियाणा में और पंजाब में संत धन्ना भगत के अनुयाई धनावंशी स्वामी समाज बहुतायत में पाए जाते हैं इनका मूल व्यवसाय कृषि है तथा भगवान कृष्ण की पूजा पाठ का कार्य भी निरंतर करते आ रहे हैं। संत धन्ना जी का जन्म टोंक जिले के देवली कस्बे के पास धुआ कला गांव में हुआ। वर्तमान में उनके जन्म स्थान पर एक विशाल मंदिर बना हुआ है तथा पास में सिख समाज द्वारा एक गुरुद्वारे का निर्माण भी करवाया गया है। मंदिर परिसर में ही धन्ना वंशी स्वामी समाज द्वारा एक विशाल सत्संग भवन का निर्माण भी करवाया गया है। प्रतिवर्ष संत धन्ना जी की आस्था में आराधना करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु धुआ कला पहुंचकर अपनी आस्था प्रकट करते हैं
Explanation : राजस्थान में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल तीन हैं–केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, जंतर मंतर और राजस्थान के पहाड़ी किले। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान या केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर स्थित एक विख्यात पक्षी अभयारण्य है। इसे पहले भरतपुर ...Read More
Explanation : राजस्थान में सबसे ज्यादा दूध देने वाली जखराना बकरी (Jakhrana Goat) है। यह नस्ल अलवर जिले के जखराना गांव की है। इसलिए इसका नाम जखराना पड़ा था। यह रोजाना 2.50 से 3 किलो दूध देने वाली बकरियों की यह एक मात्र नस्ल है। जखराना बकरी की न ...Read More
Explanation : राजस्थान के वर्तमान उपमुख्यमंत्री कोई नहीं है। वर्तमान की गहलोत सरकार में सचिन पायलट (Sachin Pilot) उपमुख्यमंत्री थे, जिन्होंने 17 दिसम्बर, 2018 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ही पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। लेकिन ज ...Read More
Explanation : राजस्थान में गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक जिला गंगानगर है। इसके बाद गन्ना उत्पादन में चितौड़गढ़ और बूंदी प्रमुख जिलें है। राजस्थान स्टेट गंगानगर शुगर मिल्स लिमिटेड प्रदेश की प्रमुख चीनी उत्पादन इकाइयों में से एक है तथा जिले के श्री ...Read More
Explanation : केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान बीकानेर, राजस्थान में स्थित है। यह बीकानेर शहर से 10 किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 15 (बीकानेर-श्रीगंगानगर रोड) पर बीछवाल में स्थित है। इसकी स्थापना वर्ष 1993 में की गई थी। केंद्रीय शुष्क बागवा ...Read More
Explanation : राजस्थान में स्थानांतरित कृषि को वालरा कहते हैं। यह आदिवासियों द्वारा पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक वनस्पति को काटकर भूमि की साफ-सफाई कर खेती करने का प्रकार है। जो 3-4 वर्ष बाद एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होता रहता है ...Read More
Explanation : राजस्थान में पांच कृषि विश्वविद्यालय हैं-स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय (SKRAU) बीकानेर, महाराणा प्रताप कृषि व तकनीकी विश्वविद्यालय (MPUAT) उदयपुर, श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय (SKNAU) जयपुर, कृषि विश्वविद्या ...Read More
Explanation : राजस्थान में सबसे ज्यादा जीरा जोधपुर जिले में होता है। राजस्थान में जीरा के सर्वाधिक क्षेत्र और उत्पादन वाले जिले जोधपुर, बाड़मेर और जालौर है। इसके अलावा सांचोर, जैसलमेर, नागौर, पाली आदि जिले प्रमुख है। जीरे के उत्पादन की दृष्टि ...Read More
Explanation : होहोबा (जोजोबा) एक तिलहन फसल है। इसका वैज्ञानिक नाम Simmondesia Chinensis है। इसका उत्पत्ति स्थान मैक्सिको, कैलिफोर्निया एवं एरिजोना (USA) का सोनारन रेगिस्तान है। भारत में यह इजरायल से लाया गया है। यह पौधा 30 सेमी. वार्षिक वर्षा ...Read More
Explanation : ईसबगोल (Isabgol) की भूसी बीजों से प्राप्त होती है। दरअसल ईसबगोल के बीज पर पाएं जाने वाला यह एक छिलका है जिसे ईसबगोल की भूसी के नाम से जाना जाता हैं। इसकी उत्पति का स्थान मिस्र तथा ईरान है। संस्कृत में इसे 'स्निग्धबीजम्' कहा जाता ...Read More
संत धन्ना भगत
राजस्थान में जाट समाज में पैदा हुए बहुत बड़े संत जिन्होंने बाल्यावस्था में कृष्ण भक्ति की और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण उनके हाथ से भोजन करने आते थे तथा कहते हैं कि उनकी गायों की रखवाली भी भगवान कृष्ण प्रेम करते थे। वैष्णव भक्ति में प्रवीण संत धन्ना भगत रामानंद के शिष्य थे एवं रामानंद के उपदेश अनुसार ही उन्होंने अपने समाज में वैष्णव भक्ति के प्रचार और प्रसार के लिए उत्तर दिशा की ओर गमन किया तथा नागौर जिले में फिर वासी गांव से धन्ना वंशी समाज की स्थापना की। उन्होंने अपनी जाट जाति के बहुत से परिवारों को अपना शिष्य बनाया एवं उन्हें वैष्णव दीक्षा प्रदान की उनके अनुयाई वर्तमान में धन्ना वंशी स्वामी कहलाते हैं। मारवाड़ क्षेत्र में हरियाणा में और पंजाब में संत धन्ना भगत के अनुयाई धनावंशी स्वामी समाज बहुतायत में पाए जाते हैं इनका मूल व्यवसाय कृषि है तथा भगवान कृष्ण की पूजा पाठ का कार्य भी निरंतर करते आ रहे हैं। संत धन्ना जी का जन्म टोंक जिले के देवली कस्बे के पास धुआ कला गांव में हुआ। वर्तमान में उनके जन्म स्थान पर एक विशाल मंदिर बना हुआ है तथा पास में सिख समाज द्वारा एक गुरुद्वारे का निर्माण भी करवाया गया है। मंदिर परिसर में ही धन्ना वंशी स्वामी समाज द्वारा एक विशाल सत्संग भवन का निर्माण भी करवाया गया है। प्रतिवर्ष संत धन्ना जी की आस्था में आराधना करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु धुआ कला पहुंचकर अपनी आस्था प्रकट करते हैं