लोकसभा में 9 अगस्त, 2018 को मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2018 पेश किया गया। यह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) राज्य मानवाधिकार आयोगों (SHRC) और मानवाधिकार अदालतों की स्थापना का प्रावधान करता है। इसके जरिए मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 में संशोधन किया जाएगा। केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 4 अप्रैल, 2018 को को देश में मानव अधिकारों को बेहतर संरक्षण और संवर्धन हेतु मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2018 को मंजूरी प्रदान की गई थी। इस विधेयक में निम्नलिखित प्रस्ताव किए गए हैं–
- आयोग ने मानद सदस्य के रूप में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग को शामिल करना। आयोग में एक महिला सदस्य को शामिल करना।
- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग तथा राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष पद हेतु पात्रता और चयन का दायरा बढ़ाना। केन्द्र शासित प्रदेशों में मानव अधिकारों के उल्लंघन के मामलों को देखते हुए व्यवस्था बनाना।
- राष्ट्ररी मानव अधिकार आयोग तथा राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के कार्यकाल में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है, जिससे इसे अन्य आयोगों के अध्यक्ष और सदस्यों के कार्य के अनुरूप बनाया जा सके।
- मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 में संशोधन से राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग तथा राज्य मानव अधिकार आयोग कारगर ढंग से मानव अधिकरों का संरक्षण और संवर्धन करने हेतु अपनी स्वायत्ता, स्वतंत्रता, बहुलवाद तथा व्यापक कार्यों से संबंधित पेरिस सिद्धांत का परिपालन करेंगे।
- इस संशोधन से भारत में मानव अधिकार संस्थानों को मजबूती मिलेगी तथा संस्थान अपने दायित्वों, भूमिकाओं और जिम्मदोरियों का कारगर निष्पादन कर सकेंगे।